जीवन चला जा रहा है
दिन और रातें आती हैं और बीत जाती हैं
क्या खोया और क्या पाया
ये हिसाब लगाने का जब वक़्त किसके पास है
जो बीत गया सो बीत गया, अच्छा हुआ या बुरा हुआ,
उस से क्या फरक पड़ता है
अगर साथी मिला तो ठीक, नहीं तो अकेले ही चलते जाना है
पता नहीं भगवान् है या नहीं
अगर है तो भी बिना कर्म के फल नहीं मिलता
तो पूजा कर के क्या फायदा
बस एक ही चिंता है
की जब जाएँ तो मन में यह न रहे की कुछ किया नहीं
हर दिन एक नयी सुबह, नयी आशा, नया जोश ले के आता है
बस ये आशा, ये जोश ख़तम ना हो , अगर भगवान् है तो उस से यही एक प्रार्थना है
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